Mahadevi Varma Biography in Hindi: अगर आप mahadevi verma ka jivan parichay पढ़ना चाहते है और अपनी परीक्षा में सर्प्रथम अंक लाना चाहते है तो हमने इस लेख में महादेवी वर्मा का जीवन परिचय बहुत ही विस्तार पूर्वक साझा किया है जिसको आप पढ़ सकते हो और याद करकर अपने परीक्षा में उत्तीर्ण कर सकते हो।
महादेवी वर्मा की जीवनी - Mahadevi Varma Biography in Hindi
तो फिर बिना देरी किए सीधे भड़ते है Mahadevi Verma Biography in Hindi की ओर और जानते है की उन्होंने कैसे हिंदी के अंदर अपना करियर बनाया और इतनी बड़ी सफलता हासिल की। अगर आपको यह लेख पसंद आये तो इससे अपने सारे दोस्तों के साथ जरूर से शेयर करे।
- नाम: महादेवी वर्मा
- जन्म: सन 1907 ईस्वी में।
- जन्म स्थान: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में।
- मृत्यु: 11 सितंबर , सन 1987 ईस्वी में।
- माता जी का नाम: श्रीमती हेम रानी देवी
- पिताजी का नाम: श्री गोविंद सहाय वर्मा
- आरंभिक शिक्षा: मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले में।
- उच्च शिक्षा: प्रयाग
- उपलब्धियां: महिला विद्यापीठ की प्राचार्य, पदम भूषण पुरस्कार, सेकसरिया तथा मंगला प्रसाद पुरस्कार, भारत भारती पुरस्कार, तथा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार आदि।
- रचनाएं: निहार, रश्मि, नीरजा, सान्ध्यगीत, दीपशिखा
- भाषा: खड़ी बोली।
- साहित्य में योगदान: विधान छायावादी कवयित्री के रूप में गीतात्मक भावपरक शैली का प्रयोग महादेवी जी की देन है।
- पति का नाम: डॉक्टर स्वरूप नारायण मिश्रा
महादेवी वर्मा ने इन्दौर में प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करके क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज, इलाहाबाद में शिक्षा प्राप्त की। इनका विवाह 11 वर्ष की अल्पायु में ही डॉ० स्वरूप नारायण वर्मा से हो गया। शवसुर के विरोध के कारण इनकी शिक्षा में व्यवधान आ गया। उनके देहावसान के बाद इन्होंने पुन: शिक्षा प्रारम्भ की और प्रयाग विश्वविद्यालय से एम०ए० (संस्कृत) कौ परीक्षा प्रथम श्रेणी मं उत्तीर्ण की। इसके पश्चात् प्रयाग महिला विद्यापीठ कौ प्राचार्या नियुक्त हुईं, जहाँ से सन् 1964 ई० में अवकाश ग्रहण किया। इनकी साहित्य-साधना अनवरत चलती रही।
ये उत्तर प्रदेश विधान परिषद् की मनोनीत सदस्या भी रहीं। इनको नीरजा पर सेक्सरिया तथा यामा पर मंगलाग्रसाद पुरस्कार भी भ्राप्त हुए। भारत के राष्ट्रपति ने इन्हें 'पद्मश्रो' की उपाधि से अलंकृत किया। [सन् 1983 ई० में श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने भारत भारती पुरस्कार प्रदानकर इन्हें हिन्दी-साहित्य को सर्वश्रेष्ठ कवयित्री घोषित किया गया इनकी कृति"यामा पर इंग्लैण्ड की तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती थैचर ने इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया कुमायूं विश्वविद्यालय ने इन्हें सन् 1975 ई० में डी० लिट्० की मानद उपाधि से सम्मानित किया।
महादेवी वर्मा प्रमुख रचनाएँ - Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay
महादेवीजी की पारिवारिक पृष्ठभूमि काव्यमयी होने से इन्हें भी बचपन से ही काव्यानुराग था। उस समय की प्रसिद्ध नारी पत्रिको चाँद” में इनकी रचनाएँ छपती थीं। बाद में इन्होंने 'चाँद' का सम्पादन भी किया। इन्होंने सदियों से उपे्क्षिता नारी के कल्याणकारी रूप को अपने काव्य में उतारकर पहचान दी। इन्होंने देहरादून में “उत्तरायण' नामक साहित्यिक आश्रम की स्थापना की। इन्होंने प्रयाग में 'साहित्यकार संसद' नामक संस्था की स्थापना करके हिन्दी-साहित्य के प्रसार-प्रचार में महनीय योगदान किया।
महादेवी वर्मा की कविताओं में जहाँ एक ओर वेदना का स्वर प्रधान है, वहीं गाव, संगीत तथा चित्र का अपूर्व संगम है। यद्यपि इनका प्रमुख क्षेत्र काव्य रहा है, तथापि इन्होंने उच्चकोटि की गद्य रचनाएँ भी की हैं। 'यामा' और “दीप शिखा' की भूमिकाओं में इन्होंने अपनी विशिष्ट साहित्यिक शैली में गम्भीर आलोचनाएँ लिखी हैं। इनका विवेचनात्मक गद्य श्रृंखला की कड़ियाँ में दृष्टिगोचर होता है।
इसमें इन्होंने नारी-जगत् की समस्याओं पर प्रकाश बे के साथी' में इन्होंने कुछ प्रमुख साहित्यकारों के, अतीत के चलचित्र' एवं स्मृति की रेखाएँ' में समाज के उपेक्षित वर्गत॑था अपने सेवक-सेविकाओं आदि के मार्मिक रेखाचित्र प्रस्तुत किये हैं। 'मेरा परिवार” में कुछ पालतू पशु-पक्षियों के शब्द-चित्र बड़ी मार्मिक शैली में अंकित हैं।
महादेवी जी के रेखाचित्रों में उनके गद्य का सर्वश्रेष्ठ रूप प्राप्त है। इनमें पीड़ित मानव तथा स्नेहिल पशुओं के सजीब चित्र प्रस्तुत है इनमें इनकी गहत्त करुण अनुभूति तथा काव्यात्मक अभिव्यक्ति के दर्शन होते हैं। इन रचनाओं में इनक़ा गद्य प्राय काव्याक्टषक हो गया है। जिसमें चित्रमयता तथा क॑ल्पनाशीलता के प्रचुर दर्शन होते हैं।
महादेवी वर्मा के काव्य की भाषा शैली और शब्दावली
देवी वर्मा की भाषा यद्यपि संस्कृतनिष्ठ , शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली है, फिर भी उसमें शुष्कता तथा दुर्बोधता नहीं है। ये भावों की अभिव्यक्ति में पूर्णतया समर्थ हैं। महादेवीजी विषय के अनुरूप अपनी भाषा को परिवर्तित करती चलती हैं। इनका शब्द चयन है तथा वाक्य-विन्यास कलात्मक है।
मुहावरे एवं लोकोक्तियों ने भी भाषा को सजीवता प्रदान की है। इनकी भाषा में तल्लीनता और तन्मयता सर्वत्र व्याप्त है। शब्द चयन उत्कृष्ट कोटि का हैं। तद्भव, उर्दू और देशी शब्द भी यथावसर प्रयुक्त हुए हैं। इनकी भाषा अलंकारों से सजी हुई है महादेवी की शैली सरस, आकर्षक और प्रभावोत्पादक है।
शैली पर इनके व्यक्तित्व की पूरी छाप है, जिसमें अनुभूति की तीव्रता 'चिन्तनशीलता, काव्यात्मकता, सुकुमारता, सरलता का अनुपम समन्वय है। इनकी शैली के विन्न रूप देखने को मिलते हैं, जिनमें विवेचनात्मक, भावात्मक, चित्रात्मक, व्यंग्यात्मक, वर्णनात्मक, सूक्ति, उद्धरण, आत्मकथीत्मक और आलंकारिक शैली प्रमुख है।
महादेवी वर्मा को मिले पुरस्कार, सम्मान और उनकी प्रमुख रचनाएं काव्य संग्रह?
हिंदी गद्य साहित्य में महादेवी वर्मा की प्रतिष्ठा एक यथार्थवादी के वात के रूप॑ में रही है। निबन्ध, आलोचना, संस्मरण तंथा रेखाचित्र के क्षेत्र में इनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है रेखच्चित्रो की रचना में इनका कोई प्रतिद्वद्धी हिन्दी-साहित्य में नहीं है। 'समाज द्वारा सर्वथा उपेक्षित एवं पद-दलित वर्गों की गम्भीरतापूर्वक अनुभव किया और उसे अपनी सशक्त भावपूर्ण रचनाओं के मध्यम से व्यक्त किया।
यद्यपि इन्होंने कवयित्री तथा गद्य-लेखिका दोनों ही रूपो में अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया है, तथापि काव्य के क्षेत्र में इन्हें विशेष सफलता प्राप्त हुई, क्योंकि इन्होंने काव्य के क्षेत्र में एक नवीन युग का सूत्रपात किया। इनके समान दूसरी भावप्रधान लेखिका हिन्दी-साहित्य में नहीं है।
महादेवी वर्मा ने अपने काव्य में जहाँ प्रकृति के सौन्दर्य और रहस्य की अभिव्यक्ति करके एक अलग पहचान बनायी है, वहीं अपने प्रौढ़ गद्य-लेखन द्वारा हिन्दी भाषा को सजाने-सँवारने तथा उससे भी अधिक अर्थ-गाम्भीर्य प्रदान करने का जो प्रयत्न किया है, वह भी नमनीय है।
हिन्दी के सुप्रतिष्ठित गद्यकार बाबू गुलाबराय ने हिन्दी गद्य में इनके योगदान की सराहना करते हुए लिखा है--“मैं गद्य में महादेवी का लोहा मानता हूं।
आखिरी शब्द:
आशा करता हूँ की आपको अब Mahadevi Verma Biography in Hindi समझ आ गया होगा। इस लेख में हमने पंडित श्रीराम शर्मा का जीवन परिचय बहुत ही विस्तार पूर्वक समझाया है तो आपको अब कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए Mahadevi Verma Biography in Hindi समझने में।
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